भूमिका
अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में हाल ही में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता पर रोक लगाने की घोषणा की। यह निर्णय पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच एक गरमागरम बहस के तीन दिन बाद आया है। इस फैसले ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है और विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों की पृष्ठभूमि
अमेरिका और यूक्रेन के संबंध 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद से ही मजबूत रहे हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहायता प्रदान की है, विशेष रूप से 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया के अधिग्रहण के बाद। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, अमेरिका ने यूक्रेन को बड़े पैमाने पर वित्तीय और सैन्य सहायता दी, जिसमें हथियार, मिसाइल सिस्टम और अन्य रक्षा उपकरण शामिल थे।
ट्रंप-जेलेंस्की बहस का प्रभाव
अमेरिका द्वारा सहायता रोकने की यह घोषणा डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में हुई बहस के बाद आई। बैठक में, ट्रंप ने जेलेंस्की से स्पष्ट रूप से पूछा कि वे रूस के साथ शांति समझौता क्यों नहीं कर रहे हैं। जेलेंस्की ने जवाब दिया कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला किया है और वे बिना सुरक्षा गारंटी के समझौता नहीं कर सकते। ट्रंप ने इस पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि “जब यूक्रेन शांति के लिए तैयार होगा, तभी वह अमेरिका से मदद की उम्मीद करे।”
अमेरिका की सैन्य सहायता पर रोक
इस बहस के कुछ ही दिनों बाद, अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि वे यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता को अनिश्चितकाल के लिए रोक रहे हैं। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के अनुसार, यह निर्णय अमेरिका की प्राथमिकताओं को पुनः निर्धारित करने के तहत लिया गया है।
सहायता पर रोक के कारण:
- शांति वार्ता को प्राथमिकता देना – ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यूक्रेन को शांति वार्ता के लिए तैयार रहना चाहिए।
- अमेरिकी करदाताओं का बोझ कम करना – अमेरिका में कुछ वर्गों द्वारा यह तर्क दिया जा रहा था कि यूक्रेन को दी जा रही भारी वित्तीय सहायता से अमेरिकी करदाताओं पर बोझ बढ़ रहा है।
- यूरोप को अधिक जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करना – अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय देश यूक्रेन की रक्षा में अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेनी सरकार ने अमेरिका के इस फैसले पर निराशा जताई है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका का समर्थन उनके देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण था और बिना अमेरिकी सहायता के, रूस के खिलाफ युद्ध जारी रखना कठिन होगा।
यूक्रेनी संसद का बयान:
- अमेरिकी सहायता की सराहना की – उन्होंने अमेरिका के पिछले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
- युद्ध जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई – यूक्रेन ने स्पष्ट किया कि वे रूस के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखेंगे, भले ही उन्हें नए रणनीतिक विकल्प अपनाने पड़ें।
- यूरोप और अन्य देशों से अधिक समर्थन की अपील – यूक्रेन अब अन्य पश्चिमी देशों से और अधिक सैन्य सहायता की उम्मीद कर रहा है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस फैसले पर मिश्रित वैश्विक प्रतिक्रियाएं आई हैं।
यूरोपीय सहयोगियों की प्रतिक्रिया:
- फ्रांस और जर्मनी – इन देशों ने घोषणा की है कि वे यूक्रेन को अधिक सहायता प्रदान करेंगे, हालांकि वे अमेरिका के समान स्तर की सहायता देने में सक्षम नहीं हैं।
- ब्रिटेन – ब्रिटेन ने कहा है कि वे अपने स्तर पर यूक्रेन की मदद जारी रखेंगे और अमेरिका के इस निर्णय से उनकी नीति प्रभावित नहीं होगी।
रूस की प्रतिक्रिया:
रूस ने इस निर्णय का स्वागत किया और इसे अमेरिका द्वारा “युद्ध के अंत की दिशा में पहला कदम” बताया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह निर्णय यूक्रेन को शांति वार्ता के लिए मजबूर कर सकता है।
अमेरिका के लिए प्रभाव
यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता रोकने का अमेरिका पर भी प्रभाव पड़ेगा।
घरेलू राजनीतिक प्रभाव:
- रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स में मतभेद – इस फैसले को लेकर अमेरिकी कांग्रेस में भी मतभेद उभर सकते हैं।
- अमेरिकी जनता की राय – कुछ अमेरिकी नागरिक इस फैसले का समर्थन कर सकते हैं, जबकि अन्य इसे अमेरिका की वैश्विक छवि के लिए नुकसानदायक मान सकते हैं।
अमेरिका की वैश्विक स्थिति:
- यूरोप में नेतृत्व की कमी – यदि अमेरिका यूक्रेन से पीछे हटता है, तो यूरोपीय देशों पर दबाव बढ़ेगा कि वे इस स्थिति को संभालें।
- रूस-चीन संबंधों पर प्रभाव – अमेरिका के इस कदम से रूस और चीन के बीच संबंध और मजबूत हो सकते हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगाने का निर्णय वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल यूक्रेन की युद्धक्षमता को प्रभावित करेगा, बल्कि अमेरिका की वैश्विक स्थिति और उसके सहयोगियों के साथ संबंधों पर भी असर डालेगा। आगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यूक्रेन इस स्थिति का कैसे सामना करता है और क्या यह निर्णय वास्तव में शांति वार्ता को गति देगा या यूक्रेन को और अधिक कठिनाइयों में डालेगा।